Chaitra Navratri 2022: क्या आप जानते हैं चैत्र नवरात्रि क्यो मनाया जाता है? अगर नहीं तो आज का यह लेख आपके लिए जानकारी से भरपूर होने वाला है.
नवरात्रि एक संस्कृत शब्द है जो नव+रात्रि से बना है जिसका अर्थ है नौ रातें। नवरात्रि भारत में हिंदू धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है.
यह त्यौहार लगातार दस दिनों तक मनाया जाता है और इसके दसवें दिन को दशहरा के नाम से जाना जाता है। इन नौ रातों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है.
हिंदी कैलेंडर के अनुसार साल में चार बार पौष, चैत्र, शरद और आषाढ़ में नवरात्र आते हैं और प्रतिपदा से लेकर नवमी तक के चार महीनों में नवरात्रि मनाने का नियम है. हालांकि मुख्य रूप से यह केवल शरद मास के चैत्र और नवरात्रि पर ही मनाया जाता है.
नवरात्रि पूरे देश में हिंदू धर्म के लोगों द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसलिए मैंने सोचा कि क्यों न आप लोगों को चैत्र नवरात्रि से जुडी सभी जानकारी प्रदान कर दी जाए ताकि आपको हर चीज का ज्ञान हो सके. तो चलिए शुरू करते हैं भारत नवरात्रि का मुख्य पर्व.
नवरात्रि या Navratri हिन्दू धर्मावलंबियों के द्वारा मनाया जाने वाला मुख्य पर्व माना जाता है और इसे भारतवर्ष में बहुत धूम धाम एवं भक्ति भावना के साथ मनाया जाता है.
हर जगह यह त्योहार अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. चैत्र मास और आश्विन मास की नवरात्रि को मनाने के तरीके भी अलग-अलग हैं.
चैत्र मास को हिन्दी कलैण्डर का प्रथम मास कहा जाता है. नवरात्रि पर्व के पीछे कई कथाएं और पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. भगवान राम की कहानी दशहरा उत्सव से भी जुड़ी हुई है, जो नवरात्रि के नौ दिन बाद मनाया जाता है.
नाम | नवरात्रि |
अन्य नाम | नराते, नवरात्र |
आरम्भ | चैत्र माह और अश्विन माह |
तिथि | प्रतिपदा से नवमी तिथि तक |
उद्देश्य | धार्मिक निष्ठा, उत्सव, मनोरंजन |
अनुयायी | हिन्दू, भारतीय |
नवरात्रि एक हिंदू त्योहार है जो हर साल मनाया जाता है. यह आमतौर पर मार्च और अप्रैल के महीनों में पड़ता है. इस वर्ष यह Saturday, 02 April – Monday, 11 April, 2022 तक है.
चैत्र नवरात्रि पहला दिन: मां शैलपुत्री पूजा, 02 अप्रैल
चैत्र नवरात्रि दूसरा दिन: मां ब्रह्मचारिणी पूजा, 03 अप्रैल
चैत्र नवरात्रि तीसरा दिन: मां चंद्रघंटा पूजा, 04 अप्रैल
चैत्र नवरात्रि चौथा दिन: मां कुष्मांडा पूजा, 05 अप्रैल
चैत्र नवरात्रि पांचवा दिन: देवी स्कंदमाता पूजा, 06 अप्रैल
चैत्र नवरात्रि छठां दिन: मां कात्यायनी पूजा, 07 अप्रैल
चैत्र नवरात्रि सातवां दिन: मां कालरात्रि पूजा, 08 अप्रैल
चैत्र नवरात्रि आठवां दिन: मां महागौरी पूजा, दुर्गाष्टमी, 09 अप्रैल
चैत्र नवरात्रि नौवां दिन: मां सिद्धिदात्री पूजा, 10 अप्रैल
चैत्र नवरात्रि पारण एवं हवन, 11 अप्रैल
जानिए घट स्थापना विधि
चौकी पर लाल या सफेद वस्त्र बिछाएं. इस पर अक्षत फैलाएं. मिट्टी के पात्र को रखें और जौ बो दें. पात्र के उूपर जल कलश स्थापित करें. मौली कलावा बांधें. पुंगीफल अर्थात् सुपाड़ी, सोने चांदी अथवा मुद्रा का सिक्का डालें. अशोक के पत्ते के उूपर चुनरी में नारियल लपेट कर कलश के मुख पर रख दें. आदिशक्ति पराम्बा मां भवगती का आह्वान करें. धूप दीपादि से पूजन करें.
नवरात्रि पर्व को मनाने के पीछे दो पौराणिक मान्यताएं प्रचलित हैं. एक मान्यता के अनुसार महिषासुर नाम का एक राक्षस था जो ब्रह्मा जी का भक्त था और उसने अपनी कठोर तपस्या से ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया था, तब ब्रह्मा जी ने उनसे वरदान मांगने को कहा.
उसने वरदान मांगा की देव, दानव और पृथ्वी में रहने वाला कोई भी मनुष्य उसका वध न कर सके.
चूंकि महिषासुर एक राक्षस था, इसलिए उसने वरदान पाकर तीनों लोकों में आतंक फैलाना शुरू कर दिया, जिसके कारण देवताओं ने ब्रह्मा, विष्णु और महेश के साथ माँ शक्ति के रूप में दुर्गा माँ को जन्म दिया.
मां दुर्गा और राक्षस महिषासुर के बीच नौ दिनों तक युद्ध चलता रहा और दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर को हराकर मार डाला। अच्छाई पर बुराई की जीत के रूप में नवरात्रि का त्योहार नौ दिनों तक मनाया जाता है.
एक अन्य मान्यता के अनुसार, भगवान राम ने लंकापति रावण पर विजय प्राप्त करने के लिए लगातार नौ दिनों तक मां शक्ति यानी मां दुर्गा की पूजा की और इस पूजा से प्रसन्न होकर मां दुर्गा ने भगवान राम को लंका में जीत का आशीर्वाद दिया. दसवें दिन भगवान राम ने रावण का वध किया और लंका पर विजय प्राप्त की.
यहाँ पर आपको हम नवरात्रि के पूजन विधि के विषय में जानकारी प्रदान करेंगे. तो फिर चलिए जानते हैं.
चैत्र माह की प्रतिपदा के दिन स्नान कर जंवारें बोये जाते हैं और नौ दिनों तक माता के नाम से व्रत रखा जाता है. इन दिनों में मांस एवं शराब के सेवन से परहेज किया जाता है. इन नौ दिनों तक माँ शक्ति के नौ अलग अलग रूपों की आराधना की जाती है.
अष्टमी तथा नवमी को महतिथि मानी जाती है और इन तिथियों को पूजा आराधना कर कन्या भोजन कराने का रिवाज है. नवमी के दिन जंवारें किसी नदी या तालाब में विसर्जन कर दिए जाते हैं.
हिंदी कैलेंडर के अनुसार साल में चार बार नवरात्रि का पर्व आता है. नवरात्रि पर्व पौष, चैत्र, शरद और आषाढ़ मास में आता है. लेकिन इनमें मुख्य रूप से दो नवरात्रि मनाई जाती हैं, एक चैत्र मास की और दूसरी शरद मास की.
हिंदी कैलेंडर के अनुसार प्रतिपदा से नवमी तक यानी पहली तारीख से नवमी तक चारों नवरात्रि मनाई जाती हैं। दसवें दिन को दशहरा के नाम से जाना जाता है.
नवरात्रि हिन्दू धर्म के लोगों के द्वारा मनाया जाने वाला प्रमुख पर्व है और इसका काफी ज्यादा महत्व माना गया है. माना जाता है माँ दुर्गा की आराधना करने एवं माँ दुर्गा को खुश करने के लिए नवरात्रि का पर्व सबसे अनुकूल समय होता है. कहा जाता है कि नवरात्रि पूजा पौराणिक काल से चली आ रही है.
मान्यता है कि नवरात्रि में माँ दुर्गा की विधिवत आराधना करने से क्रोध, अहंकार, वासना एवं बुराई पर विजय प्राप्त होती है.
यह भी मान्यता है कि माँ दुर्गा जिसके ऊपर खुश रहती हैं उसे सुख, संपदा एवं धन की प्राप्ति होती है. चूंकि नवरात्रि में माँ शक्ति के नौ अलग अलग रूपों की आराधना की जाती है और सभी पूजा के अलग अलग महत्व माने गए हैं.
चैत्र माह की नवरात्रि का पर्व जंवारें स्थापित कर व्रत रखकर मनाया जाता है. जवारों को बैंड बाजों के साथ धुम धाम से महिलाये अपने सिर पर रखकर विसर्जन के लिये ले जाती हैं. वहीं शरद माह की नवरात्री के पर्व की बात ही अलग है. इस नवरात्रि का अलग ही माहौल रहता है.
इस नवरात्रि में गली मोहल्लों में माँ दुर्गा जी की मूर्तिस्थापना की जाती है और फिर नौ दिन तक सभी मिल जुलकर भक्ति भावना से माँ दुर्गा की सेवा एवं पूजा आराधना करते हैं.
आठवे अथवा नवे दिन यज्ञ का आयोजन होता है जिसमें सभी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं और यज्ञ का पुण्य प्राप्त करते हैं. वहीं आठवे अथवा नवे दिन भंडारे का भी आयोजन किया जाता है, भंडारे के खाने को महाप्रसाद माना जाता है. कई जगहों पर नवरात्रि के पर्व में गरबा का आयोजन किया जाता है.
दुर्गा जी के पंडालों को लाइटों, फूलों एवं झालर आदि साज सज्जा की सामग्रियों से सजाया जाता है. दसवें दिन बैंड बाजे एवं डी.जे. के साथ नाच गाना करते हुए माँ दुर्गा को अंतिम विदाई दी जाती है.
नवरात्रि “दुर्गा पूजा” या “शरदोत्सव” से शुरू होती है जो पांच दिनों तक मनाया जाता है। नवरात्रि के पहले दिन की शुरुआत दुर्गा पूजा से होती है। इस समय के दौरान किए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है बकरियों, भैंसों या कबूतरों सहित पशु बलि।
साल में दो बार नवरात्रि क्यों मनाई जाती है, इसका कारण यह है कि हिंदू धर्म दो अलग-अलग कैलेंडर, एक चंद्र और एक सौर के अनुसार त्योहार मनाता है।
नवरात्रि देवी दुर्गा का त्योहार है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार नौ दिनों तक मनाया जाता है. नवरात्रि एक ऐसा त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाता है। नवरात्रि को शरदोत्सव या विजयोत्सव के नाम से भी जाना जाता है.
आज आपने क्या सीखा
मुझे उम्मीद है कि आपको मेरा लेख पसंद आया होगा: चैत्र नवरात्रि क्यो मनाया जाता है? जरूर पसंद आया होगा। मेरी हमेशा से यही कोशिश रहती है की readers को नवरात्रि के विषय में पूरी जानकारी प्रदान की जाये जिससे उन्हें किसी दुसरे sites या internet में उस article के सन्दर्भ में खोजने की जरुरत ही नहीं है.
इससे उनका समय भी बचेगा और उन्हें सारी जानकारी भी एक ही जगह मिल जाएगी। अगर आपको इस लेख के बारे में कोई संदेह है या आप चाहते हैं कि इसमें कुछ सुधार होना चाहिए, तो आप इसके लिए कम टिप्पणियाँ लिख सकते हैं।
अगर आपको यह लेख पसंद आया चैत्र नवरात्रि क्यों माना जाता है या कुछ सीखने को मिला है, तो कृपया इस पोस्ट को सोशल नेटवर्क जैसे फेसबुक, ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया साइटों पर साझा करें.